ज्यो वास्तु में भूमि की ऊर्जा, मुख्य द्वार की स्थिति, दिशा विन्यास आदि अनेक मापदंडो का परीक्षण करने के पश्चात वास्तु उपचार बताए जाते है|

भूमि ऊर्जा उपचार एवं शल्य क्रिया (Land Energy Treatment & Surgery)
भूमि का उपचार उसकी नकारात्मकता के माप के आधार पर किया जाता है| भूमि की ऊर्जा को पारा आदि रसायनों, सोना-चाँदी आदि शुद्ध धातुओं, विभिन्न मणियों एवं Quartz पत्थर, नमक, पीली सरसों, चूना एवं अनेक खनिज पदार्थों, गाय के गोबर-गौमूत्र, अनेक प्रकार की शुभ मिट्टी, शुभध्वनि एवं वाद्य, सुगंधित धूप, मंत्राराधना एवं स्वर विज्ञान के प्रयोग से वृद्धिगत किया जा सकता है जो कि अतिशुभ परिणाम दे सकती है। जब किसी भवन अथवा वास्तु में टॉयलेट, सेप्टिक टैंक वास्तु अनुसार गलत स्थान पर बन जाते हैं या भूमि का आकर विकृत होता है तब भूमि की दिशा दशा अनुसार विभिन्न धातुओं और खनिज पदार्थों से भूमि की शल्य क्रिया करके दोष दूर किया जाता है
पिरामिड वास्तु उपचार (Pyramidology)
विज्ञान के अनुसार तांबा (कॉपर) विद्युत् अथवा ऊर्जा का सबसे अच्छा सुचालक होता है | तांबे को वास्तु शास्त्र में सोने और चांदी के बराबर ही पवित्र माना जाता है। ज्योवास्तु द्वारा ताम्बे के बने निश्चित कोण और आय से बने पिरामिड आकृति से सफल वास्तु उपचार किया जाते हैं | आजकल चल रहे लकड़ी और प्लास्टिक के पिरामिड जोकि विद्युत् अथवा ऊर्जा के कुचालक होते हैं को ज्योवास्तु में उपयुक्त नहीं माना जाता है |


खनिज एवं क्रिस्टल क्वार्ट्ज (Mineral and Crystal Quartz)
खनिज एवं क्रिस्टल क्वार्ट्ज का उपयोग ग्रहों का संतुलन स्थापित करने के लिए एवं भूमि/ भवन की ऊर्जा बढ़ाने के लिए किया जाता है|
प्रतीक चिन्ह से उपचार (Symbol Treatment)
तीर्थंकर भगवान के चिन्ह (जैसे सिंह, हाथी, घोड़ा, नंद्यावर्त स्वस्तिक आदि) के चित्र अथवा आकृति से भी अनेक वास्तु उपचार किये जाते है|


पारा इंजेक्शन (Mercury Injection)
पारा इंजेक्शन का उपयोग नकारात्मक ऊर्जा के पलायन हेतु किया जाता है| सकारात्मक ऊर्जा युक्त भूमि में पारा डालने से भविष्य में भी कभी नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं हो पाता है|
रंग से उपचार (Colour Therapy)
प्रत्येक दिशा- विदिशा में तत्व विशेष एवं ग्रह विशेष की प्रधानता होती है| उस तत्त्व एवं ग्रह का रंग, सम्बंधित दिशा में करने से तत्त्व एवं ऊर्जा का संतुलन किया जाता है|


इंटीरियर वास्तु (Interior Vastu)
कक्ष की आतंरिक सज्जा वास्तु अनुरूप करने से तत्वों का संतुलन रहता है|
वास्तु पूजन एवं शिलान्यास
गृहस्वामी की राशि के अनुसार उचित मुहूर्त में विधिवत वास्तु पूजन एवं शिलान्यास करने से समस्त नकारात्मकता समाप्त हो जाती है|


